चतुर्थ चित्र भारती शार्ट फिल्म फेस्टिवल, भोपाल में आपका स्वागत है. दिनांक २५ मार्च २०२२ हम माखनलाल चर्तुवेदी विश्वविद्यालय के प्रांगण में थे। एक बेहद खूबसूरत और विशाल प्रागण। पूरे रास्ते में फिल्म और फिल्मकारों से जुड़े पोस्टर और बैनर देखने लायक था और उन्ही पोस्टर में दो पोस्टर हमारे फिल्म के भी लगे थे जो हमें गर्व करने का एक और मौका दे रही थीं।
हमारी शुरुआत कुछ डॉक्यूमेंट्री और शॉर्ट फिल्म देखने के साथ हुई। लगभग चार ऑडिटोरियम में एक साथ अलग अलग फिल्मों की स्क्रीनिंग हो रही थी। और एक विशाल ऑडिटोरियम में फिल्म जगत के तमाम दिग्गजों के मास्टर क्लास और इंटरएक्शन सेशन का भी विशेष प्रबंध था। फिल्म की स्क्रीनिंग और मास्टर क्लास का समय इस तरह से निर्धारित किया गया था की दोनो आपस में टकराए नहीं। और जितने भी लोग वहां मौजूद रहे उन्हें किसी प्रकार की दिक्कत न हों। सर्वप्रथम मास्टर क्लास का जो सत्र था वह था सुप्रसिद्ध साउंड इंजीनियर और संगीतकार सुभाष साहू एवं कन्नड़ फिल्म निर्देशक टी. एस. नागभरणा सर का। सुभाष साहू भारतीय सिनेमा और हॉलीवुड में जाना पहचाना नाम है। इस क्षेत्र में वो पिछले तेईस वर्षोंसे काम कर रहे है। निर्देशक टी. एस. नागभरणा को समन्नतर सिनेमा के अग्रदूत के नाम से जाना जाता है। उनकी तेईस फिल्मों को राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है । इसके साथ ही आठ फिल्मों को अंतराष्ट्रीय फिल्म समारोह के लिए भारतीय पैनोरमा में शामिल किया गया है। इस मास्टर क्लास के जरिए निर्देशन और साउंड की बहुत सी बारीकियों को करीब से जानने का मौका मिला। इसके बाद फिर फिल्मों का सत्र चालू हो गया। मास्टर क्लास का दूसरा सत्र मशहूर फिल्म निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री सिर का था। हाल ही में उनकी फिल्म कश्मीर फाइल्स ने बहुत सी सुर्खियां बटोरी है। विवेक अग्निहोत्री जी ने अपनी फिल्म्स बुद्धा इन मेट्रो, द ताशकंद फाइल्स एवं कश्मीर फाइल्स जुड़े रिसर्च , पटकथा लेखन और फिल्म के दौरान होने वाली चुनौतियों को साझा किया। शाम को आधिकारिक रूप से उद्घाटन समारोह रखा गया जिसमे विशेष आकर्षण भारतीय सिनेमा के खिलाड़ी के जाने वाले अक्षय कुमार उर्फ राजीव हरी ओम प्रकाश भाटिया थे। उनके साथ ही उद्घाटन समारोह में विशेष अतिथि के रूप में संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री सुश्री उषा ठाकुर, भारतीय चित्र साधना के अध्यक्ष प्रो बी. के. कुठियाला, पत्रिकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश और आयोजन समिति के अध्यक्ष श्री दिलीप सूर्यवंशी , फिल्म निर्देशक विवेक अग्निहोत्री इत्यादि मौजूद थे। मौके पर अक्षय कुमार ने 5 श्रेणियों के सभी विजेताओं को नगद पुरुस्कारी राशि अपने तरफ से देने का एलान किया। और विवेक अग्निहोत्री ने भी स्कॉलरशिप के माध्यम से छात्रों को बढ़ावा देने की बात की। इस फिल्म महोत्सव का पहला दिन वाकई ज्ञानवर्धक एवं उत्सवर्धक रहा।
चित्र भर्ती फिल्मोत्सव का दूसरा दिन हमारे लिए बेहद ही महत्वपूर्ण था क्योंकि हमारे द्वारा बनाई गई दोनो ही डॉक्युमेंट्री "स्वावलंबी होते गांव एवं सेरेंग्सिया -1837 का प्रदर्शन आज ही होना था। जिस कारण हम बहुत ज्यादा एक्साइटेड थे। साथ ही आज मास्टर क्लास के सत्र भी काफी महत्वपूर्ण थे। कुछ फिल्मों की स्क्रीन के बाद समय था मास्टर क्लास के पहले सत्र का को था सुविख्यात रेडियो उद्घोषक और मंच संचालक हरीश भिमानी सर का। हरीश भिमानी महाभारत में समय नामक पात्र को अपनी अविस्मरणीय आवाज देने वाले वाइस ओवर आर्टिस्ट है। उन्हे लाइव सुनना बेहद ही रोमांचक था। उन्होंने सुरो की कोकिला स्वर्गीय लता मंगेशकर जी से साक्षात्कार जिसे उन्होंने अपने पुस्तक में समेटा था उससे जुड़ी कुछ रोचक किस्से सुनाए। इस सत्र के बाद हमारी फिल्म स्वावलंबी होते गांव की स्क्रीनिंग थी। सभी फिल्म को खूब सराहा।इसके बाद मास्टर क्लास का दूसरा सत्र प्रारंभ हुआ। इस सत्र में मीडिया से जुड़े दो हस्ती अनंत विजय एवं शरत भट्टात्रिपाद ने शिरकत की। अनंत विजय वरिष्ट पत्रकार और संपादक है जो देश के प्रतिष्ठित समाचार पत्र दैनिक जागरण में एसोसिएट एडिटर व अमेठी मार्क्सवाद का अर्धसत्य नामक चर्चित पुस्तकों के लेखक है। शरत भट्टात्रिपाद , प्रतिष्ठित और जानेमाने प्रोफेशनल है जो एफ एम रेडियो की दुनिया में जाना पहचाना नाम है जो एफ एम चैनलों को अपने क्रिएटिव कंटेनर शानदार प्रोग्राम से अलग पहचान देने के लिए जाने जाते हैं। इस सत्र में मीडिया मीडिया से जुड़ी बातें तथा मौजूदा दौर में होने वाली कठिनाइयों के बारे में चर्चा की गई। इसके बाद लंच का समय हुआ और लंच के ठीक बाद समय था हमारी दूसरी फिल्म सेरेंसिया 1837 के स्क्रीनिंग का। फिल्म की स्क्रीनिंग में काफी भीड़ इकट्ठा हुई। मौके पर झारखंड मोशन पिक्चर एसोसिएशन के प्रेसिडेंट एन के सर जो पूरे फिल्महोत्सव के दौरान एक अभिवावक के तौर पर रहे, कन्नड़ फिल्म एसोसियन के अध्यक्ष तथा बहुत से गुणिजन तथा माखन लाल के छात्र तथा वो मित्र जो हमारे कॉलेज करीम सिटी कॉलेज के बाद जो माखनलाल यूनिवर्सिटी में पढ़ने गए थे वो भी शामिल थे। सभी ने काफी सराहना की फिल्tम की। ये वाकई एक यादगार पल था हमारे लिए। फिल्मों की स्क्रीन के बाद वक्त था काश्मीर फाइल्स की स्पेशल स्क्रीन का जिसे हम विवेक अग्निहोत्री एवं उनकी धर्मपत्नी पल्लवी जोशी के साथ देखने वाले थे। किसी फिल्म को उसके मेकर्स के साथ देखना वाकई उत्साहजनक होता है। इस तरह फिल्मोत्सव का दूसरा दिन पूरी तरह से फिल्मई रहा।
चतुर्थ फिल्म महोत्सव का तीसरा, आखिरी और सबसे महत्वपूर्ण एवं निर्णायक दिन। दिन की शुरुआत कुछ डॉक्यूमेंट्री फिल्म की स्क्रीनिंग के साथ हुई। जिसमे झारखंड की पृष्टभूमि से जुड़ी भी फिल्मे थी। आज के दिन की तीन खास बात थी । पहला नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से सुप्रसिद्ध थिएटर गुरुवामन केन्द्रे सर की मास्टर क्लास की बारी थी जिसमें नाट्य कला से जुड़ी बहुत सी बारीकियों को सिखाय। दूसरा दबंग फिल्म के डायरेक्टर के साथ वार्ता जिसमे चित्र भारती में आए फिल्मों में से कुल चार निर्देशकों को पैनल डिस्कशन में रखा गया जिसमे हमारी टीम से सेरेंग्सिया 1837 की डायरेक्टर प्रज्ञा सिंह भी थी। यह सेशन काफी इंटरएक्टिव था। जन प्रज्ञा ने अपनी फिल्म सेरेंग्सिया 1837 की कहानी के बारे में अपनी बाते कहना शुरू किया तो पूरा सभागार बड़े चाव से झारखंड के पृष्टभूमि की वीरगाथा सुन रहा था। इस रिसर्च से खुश होकर अभिनव कश्यप सर ने हमारी टीम साथ सिंहभूम पर बन रहे उनके अगले प्रोजेक्ट में काम करने की इच्छा जताई। वो पल बेहद अद्भुत था। इसके बाद शाम में समय था पुरुस्कार वितरण समारोह का को रवींद्र भवन में होने वाला था। यह पुरुस्कार वितरण समारोह किसी भव्य समारोह से कम नहीं था। फिल्म जगत से जुड़े दिगाज, रेड कार्पेट। पूरा हाल लोगो से बाहर हुआ। और हरीश भिमानी की आवाज़ में मंच का संचालन। सांस्कृतिक कार्यक्रम इत्यादि। पुरुस्कार वितरण शुरू हुआ। एक एक कर के पुरुस्कार दिए जाने लगे। बारी थी डॉक्यूमेंट्री फिल्म की। प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरूस्कार दे दिए गए। दिल बैठ गया। उम्मीदें थोड़ी टूटी। पर उसके बाद अनाउंस हुआ कि स्पेशल जूरी मेंशन अवार्ड से 3 डॉक्यूमेंट्री को दिया जाएगा। जिसमे सेरेंग्सिया भी एक है। पूरे भारत से 700 से भी ज्यादा फिल्मों में लगभग 100 फिल्मों की सूची में जगह बनाना जिसमे झारखंड से 32 फिल्मों में से चुनी गईं3 फिल्मों में से दो हमारी फिल्मे ही थी अपने आप गर्व की बात थी, और उसमे भी टॉप 30 में जगह बनाना एक उपलब्धि। प्रज्ञा आगे बढ़ी और विवेक अग्निहोत्री सर से प्रमाणपत्र ग्रहण किया। एक तरफ खुशी थी और दूसरी तरफ ये इरादा की इस सफर को अब रुकने नहीं देना है आगे बढ़ते रहना है। झारखण्ड मोशन पिक्चर प्रोड्यूसर एसोसियन के अध्यक्ष नंद किशोर सर बेहद खुश थे। और इस पूरे सफर में हमारे साथी, मार्गदर्शक के रूप में हमारे साथ थे। कुछ दोस्त जो वहां मौजूद थे उन्होंने ने भी बधाई दी। ये सफर, ये बेहद ही यादगार रहेगा।
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